हम भारत के लोग ही संविधान की ताकत हैं: संयुक्त सत्र में बोले मोदी
नयी दिल्ली। संविधान दिवस के मौके पर संसद की संयुक बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले मुंबई आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने कहा कि कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं। हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है। 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था।
इसी बीच उन्होंने 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 नवंबर हमें दर्द भी पहुंचाता है, जब भारत की महान परंपराओं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज के ही दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबों ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं वहां मारी गईं सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। संविधान को अगर दो सरल शब्दों और भाषा में कहना है तो कहूंगा 'भारतीयों के लिए गरिमा' और 'भारत के लिए एकता' (Dignity For Indian and Unity for India) इन्हीं दो मंत्रों को हमारे संविधान ने साकार किया है। नागरिक की Dignity को सर्वोच्च रखा है और संपूर्ण भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते सालों में हमने अपने अधिकारों पर बल दिया, यह जरूरी भी था क्योंकि एक बड़े वर्ग को संविधान ने अधिकार संपन्न किया, लेकिन आज समय की मांग है कि हमें नागरिक के नाते अपने दायित्वों पर मंथन करना ही होगा। उन्होंने कहा कि सेवाभाव से कर्तव्य अलग है, कर्तव्यों में ही अधिकारों की सुरक्षा है, यह बात महात्मा गांधी ने भी कही थी।
उन्होंने कहा कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। आज जब देश पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और भी प्रासांगिक हो जाती हैं।
प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातें:
- हमारा संविधान 'हम भारत के लोग' (We the people of India) से शुरू होता है, हम भारत के लोग ही इसकी ताकत हैं, हम ही इसकी प्रेरणा हैं और हम ही इसका उद्देश्य हैं
- सेवाभाव, संस्कार और कर्तव्य हर समाज के लिए बहुत अहम हैं। लेकिन सेवाभाव से कर्तव्य अलग है। सेवाभाव किसी भी समाज को सशक्त करता है। उसी तहर कर्तव्यभाव भी बहुत अहम है। एक नागरिक के नाते हमें वो करना चाहिए, जिससे हमारा राष्ट्र शक्तिशाली बने।
- हमारी कोशिश होनी चाहिए कि अपने हर कार्यक्रम में, हर बातचीत में हम Duties पर फोकस करें।
- जनप्रतिनिधि होने के कारण खुद को भी एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना हमारा दायित्व बन जाता है और हमें समाज में सार्थक बदलाव लाने के लिए इस कर्तव्य को भी निभाना होगा।